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स्वच्छ पर्यावरण आपका अधिकार हैं

  जजमेंट डाउनलोड लिंक https://api.sci.gov.in/supremecourt/ 2021/1551/1551 _ 2021 _ 3 _ 1501 _ 55507 _Judgement_ 12- Sep- 2024. pdf इन्ट्रोडक्शन वन्दे मातरम साथियों। एक नागरिक होने के नाते स्वच्छ पर्यावरण आपका अधिकार हैं। और अगर आपके घर के नजदीक गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट ऑपरैट हो रहा हो तो आप ऐसे प्लांट को बंद कर हटाने के लिए भी प्रयास कर सकते हैं। पर कैसे? हा इसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए ये विडिओ बनाया हैं। जजमेंट डाउनलोड लिंक https://t.co/i6ofVVHxkN #environment #nature #sustainability #climatechange #ecofriendly #savetheplanet #sustainable #zerowaste #gogreen #recycle #green #earth #eco #plasticfree #sustainableliving #globalwarming #environmentallyfriendly https://t.co/7zs4q1Fnwt — Rinku Tai 2.0 (@rinkutai222361) September 27, 2024 आपके मूलभूत अधिकारों की केवल जानकारी देने के लिए ही ये चैनल समर्पित हैं। और अगर आपको वास्तव मे कोई समस्या हैं तो आपको एक अच्छे अधिवक्ता से मिलकर उचित कार्यवाही के लिए पहल करनी चाहिए। केस डिटेल्स और घटनाक्रम: आजके विडिओ म

Confession of Accused

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Criminal Jurisprudence of Bharat In Kashmira Singh vs State Of Madhya Pradesh the question discussed was How far and in what way the confession of an accused person can be used against a co-accused? Court explained it as follows: It is evident that confession of an accused is not evidence in the ordinary sense of the term because, it does not indeed come within the definition of 'evidence' contained in section 3 of the Evidence Act. It is not required to be given on oath, nor in the presence of the other accused, and it cannot be tested by cross-examination. Such a confession cannot be made tile foundation of a conviction and can only be used in "support of other evidence." [1] Also in the same case Supreme Court laid down this rule of approach It was held by the Court that the proper way to approach a case of this kind is, first, to marshal the evidence against the accused excluding the confession altogether from consideration and see whether, if it is belie

Comparison of definition of Evidence in IEA and BSA

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  Read More on New Criminal Laws. Vande Matram Friends! Welcome to the blog series of New Criminal Laws in Bharat. In this blog I am comparing the provisions regarding definition of 'evidence' in the Indian Evidence Act, 1872 (IEA) and Bharatiya Sakshya Adhiniyam, 2023 (BSA). To read more such blogs on the comparison and interpretation of these two statutes, please follow this blog and share it with others. Before going further note some things regarding the presentation of the things. Provisions given in Red colour are from IEA and those given in Blue colour are from BSA. Evidence: For easy reference both definitions are reproduced here: Evidence under Section 3 of IEA: “Evidence”. ––“Evidence” means and includes ––  (1) all statements which the Court permits or requires to be made before it by witnesses, in relation to matters of fact under inquiry; such statements are called oral evidence; (2) all documents including electronic records produced for the inspec

आनंद और उत्सव के मौके पर अपराध

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Read More on New Criminal Laws. अभियोग की प्राथमिक जानकारी: न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय भारत अभियोग का नाम: कश्मीरा सिंह बनाम स्टेट ऑफ मध्य प्रदेश निर्णय दी. 4 मार्च 1952 समकक्ष उद्धरण: 1952 AIR 159 , 1952 SCR 526 , AIR 1952 SUPREME COURT 159 न्यायाधीश: वीवियन बोस, सैयद फजल अली, बी. के. मुखर्जी अभियोग क्र. : आपराधिक निवेदन याचिका क्र. 53/1951 (क्रिमिनल अपील) मूल अभियोग जिसके निर्णय के विरुद्ध याचिका दाखल की गई: उच्च न्यायालय के नागपूर न्यायाधिकरण (जुडीकेचर) की आपराधिक निवेदन याचिका क्र. 297/1950 का दी. 8 जून 1951 का निर्णय। यह याचिका अतिरिक्त सत्र न्यायालय, भंडारा के सेशन्स ट्रायल 25/1950 मे दिए गए निर्णय एवं आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय मे दाखिल की गई थी। अपराध का विवरण: कश्मीरा सिंह ने 5 साल के रमेश की हत्या कर दी थी इसीलिए उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। उसके साथ उसका भाई गुरुदयाल सिंह, उसका 11 साल का भतीजा प्रीतपाल सिंह और गुरुबचन सिंह के विरुद्ध भी आपराधिक अभियोग चला। गुरुदयाल और प्रीतपाल को रिहा किया गया। गुरुबचन सिंह ने अपना अपराध स्वीकार किया और उसे भी म

लालच ने मित्रता को किया शर्मसार

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The greed for dowry, and indeed the dowry system as an institution, calls for the severest condemnation. – Supreme Court in 1983 लालच ने मित्रता को किया शर्मसार: अभियोग की मूलभूत जानकारी: भगवंत सिंह बनाम पुलिस आयुक्त, दिल्ली समतुल्य उद्धरण: 1983 SCR (3) 109 न्यायालय: सर्वोच्च न्यायालय, भारत। न्यायाधीश: आर. एस. पाठक, पी. एन. भगवती अभियोग की पार्श्वभूमी: एक दुखियारे पिता भगवंत सिंह ने अपनी विवाहित बेटी गुरिन्दर कौर की हत्या के प्रकरण मे उसे न्याय दिलाने के लिए यह अभियोग दाखिल किया था। इस अभियोग मे सेंट्रल जांच ब्यूरो से जल्द से जल्द इस मामले मे जांच पूरी करने के लिए निर्देश मांगे गए थे। गुरिन्दर कौर सुन्दर, चतुर एवं पढीलिखी कन्या थी। भगवंत सिंह भारतीय राजस्व सेवा मे कार्यरत थे तथा श्री कर्तार सिंह शॉनी उनके एक सहकर्मी थे एवं दोनों की तीस साल से ज्यादा की मित्रता थी। अमरजीत सिंह कर्तार सिंह का बेटा हैं जिसकी दिल्ली मे मोटर पार्ट्स की दुकान थी। कर्तार सिंह और भगवंत सिंह ने मित्रता को नातेदारी मे बदलने के निर्णय लिया तथा गुरिन्दर एवं अमरजीत का विवाह तय कर दिया। पिता भगव

Section 2 of #BSA: Definitions

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Read More on New Criminal Laws. Vande Matram Friends! Welcome to the blog series of New Criminal Laws in Bharat. In this blog I am comparing the provisions regarding definitions in the Indian Evidence Act, 1872 (IEA) and Bharatiya Sakshya Adhiniyam, 2023 (BSA). To read more such blogs on the comparison and interpretation of these two statutes, please follow this blog and share it with others. Before going further note some things regarding the presentation of the things. Provisions given in Red colour are from IEA and those given in Blue colour are from BSA. Read More on New Criminal Laws. Section 2 of IEA: [ Repeal of enactments .].–– Rep. by the Repealing Act , 1938 (1 of 1938), s . 2 and Schedule . Section 2 of IEA was repealed by the Repealing Act, 1938, hence it is not having any relevance in Independent Bharat, hence no need to discuss. Read More on New Criminal Laws. Section 3 of IEA: 3. Interpretation-clause. ––In this Act the following words and expressions are used in the