स्वच्छ पर्यावरण आपका अधिकार हैं
जजमेंट
डाउनलोड लिंक https://api.sci.gov.in/supremecourt/2021/1551/1551_2021_3_1501_55507_Judgement_12-Sep-2024.pdf
इन्ट्रोडक्शन
वन्दे
मातरम साथियों।
एक
नागरिक होने के नाते स्वच्छ पर्यावरण आपका अधिकार हैं। और अगर आपके घर के नजदीक
गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट ऑपरैट हो रहा हो तो आप ऐसे प्लांट को बंद कर हटाने के
लिए भी प्रयास कर सकते हैं। पर कैसे? हा इसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए ये विडिओ
बनाया हैं।
जजमेंट डाउनलोड लिंक https://t.co/i6ofVVHxkN#environment #nature #sustainability #climatechange #ecofriendly #savetheplanet #sustainable #zerowaste #gogreen #recycle #green #earth #eco #plasticfree #sustainableliving #globalwarming #environmentallyfriendly https://t.co/7zs4q1Fnwt
— Rinku Tai 2.0 (@rinkutai222361) September 27, 2024
आपके
मूलभूत अधिकारों की केवल जानकारी देने के लिए ही ये चैनल समर्पित हैं। और अगर आपको
वास्तव मे कोई समस्या हैं तो आपको एक अच्छे अधिवक्ता से मिलकर उचित कार्यवाही के
लिए पहल करनी चाहिए।
केस डिटेल्स और घटनाक्रम:
आजके
विडिओ मे सुप्रीम कोर्ट के हाल ही मे दिए गए जजमेंट के आधार पर आपको स्वच्छ
पर्यावरण के अधिकार के बारे मे जानकारी दूँगी। 12 सितंबर 2024 के दिन इस निर्णय को
पुणे municipal corporation बनाम सूस रोड बानेर विकास मंच इस अभियोग मे दिया गया था। जजमेंट
की डाउनलोड लिंक आपको description मे मिल जाएगी। आप भी इसे पढ़ सकते हो।
तो
इस अभियोग की शुरुआत होती हैं एक गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट से। ये प्लांट पुणे के
बानेर मे स्थित था और इसके चारों तरफ रेज़िडेन्शल बिल्डिंग्स थी। तीस साल के लिए एक
प्राइवेट कंपनी Noble Exchange Environment
Solution Pune को ये ऑपरैट करने के लिए
दिया गया था। प्लांट से आने वाली बदबू से सभी लोगों को दिक्कत हो रही थी। इसीलिए
सूस रोड बानेर विकास मंच ने इस प्लांट को हटाने के लिए ग्रीन tribunal के समक्ष
दावा दाखल किया। उसके बाद प्लांट और आसपास के इलाके का इन्स्पेक्शन हुआ और
इन्स्पेक्शन रिपोर्ट के अनुसार ये प्लांट स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार का उल्लंघन
करता हैं ये निष्कर्ष निकाला गया। इसी आधार पर ग्रीन tribunal ने मंच
के पक्ष मे निर्णय देते हुए प्लांट को हटाकर दूसरी जगह शिफ्ट करने तथा जिस जगह
प्लांट था उस जगह बायो diversity पार्क बनाने के निर्देश दिए। चार महीनों मे municipal corporation को
ये प्लांट दूसरी जगह शिफ्ट करना था। पर municipal
corporation तथा प्लांट ऑपरैट करने वाली
कंपनी ग्रीन tribunal के निर्णय से खुश नहीं थे इसीलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष
अपील दाखल की और इस विडिओ मे उसी अपील के निर्णय के आधार पर कुछ लॉ पॉइंट्स की
जानकारी बताई जा रही हैं।
Procedural
facts:
अगर
किसी शहर का विकास करना हैं तो सरकार उस शहर के लोकल बॉडी के साथ मिलकर प्लैनिंग
करती हैं। उसके बाद वो विकास का प्लान आम जनता की राय के लिए पब्लिश किया जाता
हैं। बानेर के विकास के लिए भी प्लान पब्लिश किया गया और प्लान के अनुसार विवादित
जगह गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट के लिए ही आरक्षित की गई थी।
अगर
कोई डेवलपमेंट प्रोजेक्ट करना हो या कोई प्लांट या फैक्ट्री किसी जगह शुरू करना हो
तो राज्य के पलूशन कंट्रोल बोर्ड की सहमति लेकर तथा पलूशन कंट्रोल बोर्ड से environmental क्लीरन्स
लेकर ही उस प्रोजेक्ट को शुरू किया जा सकता हैं। इस environmental क्लीरन्स
के बिना किसी भी प्रोजेक्ट की अनुमति स्थानीय प्रशासन नहीं दे सकता। बानेर के
प्लांट के लिए महाराष्ट्र पलूशन कंट्रोल बोर्ड ने अनुमति तथा environmental क्लीरन्स
दे दिया था, इसीलिए विवादित जगह पर प्लांट लगाया गया और वहा पर ऑर्गैनिक और
नॉन-ऑर्गैनिक कचरे को अलग करने का काम शुरू किया गया।
प्लांट
शुरू होने के तीन साल बाद ग्रीन tribunal के समक्ष प्लांट हटाने की याचिका को दाखल किया गया
था। उसके बाद प्लांट के ऑपरेशन के लिए बार बार बोर्ड की अनुमति ली गई। उपरोक्त
प्लांट मे दक्षिण पुणे से कचरा लाकर अलग किया जाता था और ऑर्गैनिक कचरे को
कम्प्रेस कर आगे खाद और बायोगॅस बनाने के लिए तलेगाव प्लांट पर भेजा जाता था। केवल
कचरा अलग किया जाता हैं इसीलिए इस प्लांट के चारों और 500 मीटर का बफर ज़ोन रखने की
जरूरत नहीं हैं ऐसा लोकल बॉडी का कहना था।
प्लांट का उपयोग
अब
आपको एक जरूरी बात यहा बताती हु। उपरोक्त प्लांट जैसी जगह पर कचरा एकठ्ठा किया
जाता हैं – खासकर ऑर्गैनिक कचरा याने की आपके रसोईघर से निकलने वाला कचरा। फिर इस
कचरे मे से नॉन-ऑर्गैनिक जैसे प्लास्टिक, मेटल या काच की चीजों को अलग किया जाता
हैं और ऑर्गैनिक कचरे से स्लरी बना कर दूसरे प्रोसेसिंग यूनिट मे भेजा जाता हैं
जहा इसपर cutting edge anaerobic digestion
technology का प्रयोग किया जाता हैं और इस
प्रोसेस से बायोगैस और ऑर्गैनिक खाद बनाई जाती हैं। 96% तक क्लीनिंग करने के बाद
जो बायोगॅस आपके रसोईघर के कचरे को प्रोसेस कर बनाई गई हैं वो पेट्रोल डीजल और
एलपीजी के लिए एक सस्टैनबल और सस्ता replacement
हैं। अगर आप इस सस्ते replacement को
अपनाना चाहते हैं तो आपने क्या करना हैं ये अब आपको पता हैं। पुणे के इस प्लांट से
शुरू की गई कचरे की प्रोसेसिंग से जो बायोगॅस बनता है उस पुणे के पब्लिक
ट्रांसपोर्ट के लिए उपयोग मे लाया जा रहा हैं। और ये सच मे अच्छी बात हैं।
खैर
भलेही कचरे की प्रोसेसिंग का ये प्लांट अच्छे के लिए हैं लेकिन फिर भी ये चारों
तरफ से residential बिल्डिंग्स से घिरा हुआ था और कचरे की बदबू एक तरह का पब्लिक nuisance हैं,
इसलिए इस प्लांट को हटाने के लिए मंच ने ग्रीन tribunal
के समक्ष याचिका दाखल की थी। और
कचरे की बदबू से एयर पलूशन बढ़ता हैं इसीलिए यह लोकल बॉडी की जिम्मेदारी हैं की वो residential एरिया मे
पलूशन कंट्रोल करने के लिए प्रयास करें।
नीरी की सलाह:
भारत
मे एक संस्था हैं जिसे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान के नाम
से जाना जाता हैं, संक्षिप्त मे इसे निरी कहा जाता हैं, इस संस्था ने गारबेज
प्रोसेसिंग प्लांट से जुड़ी कुछ सलाह दी हैं। और इन्ही suggestions को
इंपेलेमेन्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पुणे municipal
corporation को निर्देश दिए हैं। अब
जानते हैं की वो क्या recommended suggestions।
सबसे
पहले स्लरी बनाने के प्लांट को अच्छेसे कवर किया जाना चाहिए जिससे कचरे की बदबू
आसपास न फैले।
कार्बन
फिलटर्स जैसे बदबू को फैलने से रोकने वाले उपकरणों को स्लरी प्लांट मे लगाया जाना
जरूरी हैं।
स्लरी
प्लांट मे corrosion को रोकने के लिए अच्छे बिल्डिंग material
का उपयोग करके ही प्लांट का निर्माण
करना चाहिए।
अगर
प्लांट की कपैसिटी बढ़ाने के लिए जगह congested
हो रही हो तो प्लांट को दूसरी जगह
हटा देना चाहिए।
इस्तमल
के पहले फूड बैग्स को अच्छे से रखना चाहिए।
स्लरी
की sampling और अनैलिसिस बार बार करना चाहिए जिससे decomposition लेवल को
समझा जा सके और उसे सही लेवल पर रोक जा सके जिससे ज्यादा से जायद methane बनाया जा
सके।
Optimum स्लरी डेन्सिटी को ढूंढकर कचरा अलग करने के प्लांट से
लेकर बायोगॅस बनाने के प्लांट तक का ट्रांसपोर्ट का खर्च कम करने के लिए कोशिश
करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय और अन्य निर्देश:
निरी
ने दिए हुए सुझावों के अलावा सुप्रीम कोर्ट ने और भी निर्णय दिए जैसे
ग्रीन
tribunal की ऑर्डर को खारिज कर दिया और उपरोक्त प्लांट उसी जगह पर रह सकता
हैं ऐसे आदेश दिए।
उसी
जगह प्लांट रहने वाला हैं तो निरी के सुझावों के अनुसार तुरंत उस प्लांट मे उपयोगी
बदलाव करने के आदेश दिए जिससे आसपास मे रहने वाले लोगों को कचरे की बदबू से दिक्कत
न हो।
प्लांट
मे पानी जमा न हो इसके लिए प्लांट के चारों तरफ कान्क्रीट बेस बनाने के तथा कचरे
का ट्रांसपोर्ट सही से करने के लिए बिटूमीन रोड का निर्माण करने के आदेश लोकल बॉडी
को दिए गए।
पूरे
प्लांट के रिजेक्ट एरिया को कवर करने वाला शेड जल्द से जल्द बनाने के आदेश प्लांट
चलाने वाली कंपनी और लोकल बॉडी को दिए गए।
प्लांट
के एक साइड मे बायो डाइवर्सिटी पार्क के लिए जगह आरक्षित हैं उस हिसाब से पार्क को
अच्छे से डिवेलप करने के तथा प्लांट के अन्य तीन साइड्स मे और भी घना वृक्षारोपण
करने के आदेश दिए गए। और बायो डाइवर्सिटी पार्क मे मियावकी फॉरेस्ट को डिवेलप कर
शहर के ग्रीन लंग्स को बढ़ाने के आदेश दिए गए।
आगे
निरी को आदेश दिए गए की हर छह महीने मे एकबार सभी गारबेज प्रोसेसिंग प्लांटस् का
इन्वाइरन्मेनल ऑडिट करे।
इस जजमेंट का फायदा:
भलेही
कचरे को अलग करने वाला प्लांट आप आपके पड़ोस से इस जजमेंट के सहारे नहीं हटा सकते
फिर भी आप उस प्लांट से आनेवाली बदबू को रोकने के लिए निरी के दिए गए सुझावों के
अनुसार प्लांट मे बदलाव की मांग कर सकते हैं। इसके लिए आपको आपके लोकल बॉडी को
नोटिस देना पड़ेगा और उस नोटिस मे प्लांट के पूरे विवरण के साथ निरी के सुझावों तथा
इस जजमेंट मे दिए गए आदेशों के अनुसार बदलाव की मांग करनी पड़ेगी।
ये
जजमेंट सुप्रीम कोर्ट का हैं इसीलिए इसमे दिए गए आदेश और सुझाव पूरे देश मे लागू
किए जा सकते हैं। बस आपको proper नोटिस सही जगह देनी पड़ेगी। आगे फिर उसी नोटिस के आधार
पर आप ऐसे प्लांट मे उचित बदलाव के लिए ग्रीन tribunal
मे याचिका दाखल कर सकते हैं।
तो
ये रहा कचरे के प्रदूषण से जुड़ा एक जजमेंट। आपके विचार #CleanEnvironmentIsMyRight इस hashtag के साथ जरूर कमेन्ट करिए। environment से जुड़े
सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट्स की जानकारी के लिए मुझे फॉलो कर लीजिए। विडिओ को लाइक
एण्ड शेयर करिए। आजके लिए इतना ही। मैं मिलूँगी आपसे अगले विडिओ मे। स्वच्छ
पर्यावरण के लिए संघटित हो आवाज उठाए और सुरक्षित रहे।
भारत
माता की जय।
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